पाद सेवन का अर्थ
[ paad seven ]
पाद सेवन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- पाद सेवन : ईश्वर के चरणों का आश्रय लेना और उन्हीं को अपना सर्वस्य समझना।
- पाद सेवन प्रभु के चरणों की , भरत और लक्ष्मी के अनुसार सेवा करने का नाम पाद सेवन है।
- पाद सेवन प्रभु के चरणों की , भरत और लक्ष्मी के अनुसार सेवा करने का नाम पाद सेवन है।
- तो यही है तेरी नवधा भक्ति- कौन सी- ' पाद सेवनम् पंखाझलनम् ' - पाद सेवन और पंखा झलने को ही नवधा कहता है।
- नवधा भक्ति ( श्रवण , कीर्तन , स्मरण , पाद सेवन , अर्चना , वंदना , दास्य , सखा भाव और आत्म निवेदन ) के पुष्टि , प्रवाही और मर्यादित भेद से ग्रहण करने से सत्ताईस पक्ष होते हैं।
- नवधा भक्ति ( श्रवण , कीर्तन , स्मरण , पाद सेवन , अर्चना , वंदना , दास्य , सखा भाव और आत्म निवेदन ) के पुष्टि , प्रवाही और मर्यादित भेद से ग्रहण करने से सत्ताईस पक्ष होते हैं।
- ' श्रवण ' दूसरी सीढ़ी ' कीर्तन ' और तीसरी सीढ़ी ' स्मरण ' को पार करके जब चौथी सीढ़ी में पहुँच कर ' पाद सेवन ' अर्थात् मन से निरन्तर भगवच्चरणों का ध्यान करता है तो अहर्निष भगवत्पाद - सेविनी लक्ष्मी को भय हो जाता है कि कहीं भगवान का प्रेम अपने इस भक्त पर अधिक न हो जाय।
- ' श्रवण ' दूसरी सीढ़ी ' कीर्तन ' और तीसरी सीढ़ी ' स्मरण ' को पार करके जब चौथी सीढ़ी में पहुँच कर ' पाद सेवन ' अर्थात् मन से निरन्तर भगवच्चरणों का ध्यान करता है तो अहर्निष भगवत्पाद - सेविनी लक्ष्मी को भय हो जाता है कि कहीं भगवान का प्रेम अपने इस भक्त पर अधिक न हो जाय।
- इसका कारण यह है कि भक्त भगवान् की उपासना करता है और भक्ति की पहली सीढ़ी ' श्रवण' दूसरी सीढ़ी 'कीर्तन' और तीसरी सीढ़ी 'स्मरण' को पार करके जब चौथी सीढ़ी में पहुँच कर 'पाद सेवन' अर्थात् मन से निरन्तर भगवच्चरणों का ध्यान करता है तो अहर्निष भगवत्पाद - सेविनी लक्ष्मी को भय हो जाता है कि कहीं भगवान का प्रेम अपने इस भक्त पर अधिक न हो जाय।